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Thursday, 3 December 2015
Monday, 5 October 2015
Thursday, 17 September 2015
Ganesh (Vinayaka) Chaturthi 2015 celebrations: Free Android apps to make your festival lively
Ganesh Chaturthi is a famous Indian festival that marks the birthday of Lord Ganesha. It is observed in the month of Bhadra in the Hindu calendar, which varies between mid-August and mid-September each year according to the western calendar.
This year, Ganesh Chaturthi will be celebrated on 17 September with joy and devotion across the nation. Some States including Maharashtra, Goa, Kerala and Tamil Nadu are known to celebrate Ganesh Chaturthi at its best.
On the day of the grand festival, different rituals are performed, including chanting mantras to immersing Ganesha statues in water.
For those who cannot experience the rituals first hand, technology is offering solutions. Smartphone apps, specifically designed for Ganesh Chaturthi, bring various forms of rituals and celebrations in your phone. You can also enhance the celebrations with the apps to get a lively feel anytime, anywhere.
Ganesh Pooja
Ganesh Chaturthi starts with a pooja and here is an app to assist you with the arrangements. The Ganesh Pooja app lists all the ingredients and steps of Ganesha Sthapana and Ganesha visarjan, lists all the 108 names of Lord Ganesha, explain the meaning of different body parts of Ganesha and dictate aratis and mantras in Sanskrit with their meaning.
Ganesh Pooja is a free Android app and can be downloaded from Play Store.
Ganesh Mantra
Ganesh mantras are a crucial part of the celebrations. Aptly named Ganesh Mantra, the app can be used to chant mantras 11, 21, 51 or 108 times with proper pranayama. You can pause or stop the mantras anytime and resume accordingly.
Ganesh Mantra is available as a free download on Google Play Store.
Ganesha Chalisa-Meaning & Video
Ganesha Chalisa is an app for Android smartphones, packed with several features. As per the app's listing, you can get the Ganesha chalisa with video, subtitles and meaning in English and Hindi. To get a more real-world feel, flower-shower animation is added. The app can work offline but requires initial download from Play Store.
Ganesha Chalisa-Meaning & Video is a free Android app available in Google Play Store.
Ganesh Aarti
Ganesh Aarti brings a nice temple-like feel within your palm. You can touch and worship Lord Ganesha, change Ganesh idols, perform Aarti via touch, feed with Modak, shower flowers on the statue, light up diyas, blow a conch and do more with the app.
This useful app is available for free on Google Play Store.
Ganesh Chaturthi: Wishes
Wishing your friends and family on Ganesh Chaturthi is a major part of the festival. So there's an app to help you with that. Ganesh Chaturthi: Wishes app comes pre-loaded with English, Hindi greetings, SMS, messages, quotes, wallpapers and image backgrounds. The app features a simple UI and easy-to-share messages. Most importantly, the app does not require Internet.
Ganesh Chaturthi: Wishes app is available for free on Google Play Store.
Neon Ganesh Clock
Wake up to an amazing neon-look Ganesh clock on your Android smartphone and begin your day with joy. The Neon Ganesh Clock has four different types of clocks with neon photo animation of Lord Ganesh.
Available as a free download, Neon Ganesh Clock can be grabbed from Google Play Store.
Ganesh Wallpapers
To dive deeper into the feel of Ganesh Chaturthi, set your favourite Lord Ganesha picture as the wallpaper on your smartphone. There is an app with pre-loaded Ganesha pictures, which can be set as wallpaper instantly.
Ganesh Wallpapers is available on Google Play Store for free.
Wednesday, 16 September 2015
Monday, 17 August 2015
Monday, 10 August 2015
Hey Shiv Shankar, Shiv Bhajans Full Audio Songs Juke Box I Hey Shiv Shankar
Hey Shiv Shankar, Shiv Bhajans Full Audio Songs Juke Box I Hey Shiv Shankar
Tuesday, 4 August 2015
Somnath Jyotirling Gujarat
Somnath Jyotirling Gujarat
नाम: श्री सोमनाथ शिवलिंग
स्थान: वेरावल, सौराष्ट्र गुजरात
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है, कि जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चन्द्र देव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।
स्थान: वेरावल, सौराष्ट्र गुजरात
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है, कि जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चन्द्र देव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।
Monday, 3 August 2015
Sunday, 2 August 2015
108 Names of Lord Shiva in Hindi
108 Names of Lord Shiva in Hindi
1.शिव – कल्याण स्वरूप
2.महेश्वर – माया के अधीश्वर
3.शम्भू – आनंद स्वरूप वाले
4.पिनाकी – पिनाक धनुष धारण करने वाले
5.शशिशेखर – चंद्रमा धारण करने वाले
6.वामदेव – अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
7.विरूपाक्ष – विचित्र अथवा तीन आंख वाले
8.कपर्दी – जटा धारण करने वाले
9.नीललोहित – नीले और लाल रंग वाले
10.शंकर – सबका कल्याण करने वाले
11.शूलपाणी – हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
12.खटवांगी- खटिया का एक पाया रखने वाले
13.विष्णुवल्लभ – भगवान विष्णु के अति प्रिय
14.शिपिविष्ट – सितुहा में प्रवेश करने वाले
15.अंबिकानाथ- देवी भगवती के पति
16.श्रीकण्ठ – सुंदर कण्ठ वाले
17.भक्तवत्सल – भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
18.भव – संसार के रूप में प्रकट होने वाले
19.शर्व – कष्टों को नष्ट करने वाले
20.त्रिलोकेश- तीनों लोकों के स्वामी
21.शितिकण्ठ – सफेद कण्ठ वाले
22.शिवाप्रिय – पार्वती के प्रिय
23.उग्र – अत्यंत उग्र रूप वाले
24.कपाली – कपाल धारण करने वाले
25.कामारी – कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले
26.सुरसूदन – अंधक दैत्य को मारने वाले
27.गंगाधर – गंगा को जटाओं में धारण करने वाले
28.ललाटाक्ष – माथे पर आंख धारण किए हुए
29.महाकाल – कालों के भी काल
30.कृपानिधि – करुणा की खान
31.भीम – भयंकर या रुद्र रूप वाले
32.परशुहस्त – हाथ में फरसा धारण करने वाले
33.मृगपाणी – हाथ में हिरण धारण करने वाले
34.जटाधर – जटा रखने वाले
35.कैलाशवासी – कैलाश पर निवास करने वाले
36.कवची – कवच धारण करने वाले
37.कठोर – अत्यंत मजबूत देह वाले
38.त्रिपुरांतक – त्रिपुरासुर का विनाश करने वाले
39.वृषांक – बैल-चिह्न की ध्वजा वाले
40.वृषभारूढ़ – बैल पर सवार होने वाले
41.भस्मोद्धूलितविग्रह – भस्म लगाने वाले
42.सामप्रिय – सामगान से प्रेम करने वाले
43.स्वरमयी – सातों स्वरों में निवास करने वाले
44.त्रयीमूर्ति – वेद रूपी विग्रह करने वाले
45.अनीश्वर – जो स्वयं ही सबके स्वामी है
46.सर्वज्ञ – सब कुछ जानने वाले
47.परमात्मा – सब आत्माओं में सर्वोच्च
48.सोमसूर्याग्निलोचन – चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले
49.हवि – आहुति रूपी द्रव्य वाले
50.यज्ञमय – यज्ञ स्वरूप वाले
51.सोम – उमा के सहित रूप वाले
52.पंचवक्त्र – पांच मुख वाले
53.सदाशिव – नित्य कल्याण रूप वाले
54.विश्वेश्वर- विश्व के ईश्वर
55.वीरभद्र – वीर तथा शांत स्वरूप वाले
56.गणनाथ – गणों के स्वामी
57.प्रजापति – प्रजा का पालन- पोषण करने वाले
58.हिरण्यरेता – स्वर्ण तेज वाले
59.दुर्धुर्ष – किसी से न हारने वाले
60.गिरीश – पर्वतों के स्वामी
61.गिरिश्वर – कैलाश पर्वत पर रहने वाले
62.अनघ – पापरहित या पुण्य आत्मा
63.भुजंगभूषण – सांपों व नागों के आभूषण धारण करने वाले
64.भर्ग – पापों का नाश करने वाले
65.गिरिधन्वा – मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
66.गिरिप्रिय – पर्वत को प्रेम करने वाले
67.कृत्तिवासा – गजचर्म पहनने वाले
68.पुराराति – पुरों का नाश करने वाले
69.भगवान् – सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न
70.प्रमथाधिप – प्रथम गणों के अधिपति
71.मृत्युंजय – मृत्यु को जीतने वाले
72.सूक्ष्मतनु – सूक्ष्म शरीर वाले
73.जगद्व्यापी- जगत में व्याप्त होकर रहने वाले
74.जगद्गुरू – जगत के गुरु
75.व्योमकेश – आकाश रूपी बाल वाले
76.महासेनजनक – कार्तिकेय के पिता
77.चारुविक्रम – सुन्दर पराक्रम वाले
78.रूद्र – उग्र रूप वाले
79.भूतपति – भूतप्रेत व पंचभूतों के स्वामी
80.स्थाणु – स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
81.अहिर्बुध्न्य – कुण्डलिनी- धारण करने वाले
82.दिगम्बर – नग्न, आकाश रूपी वस्त्र वाले
83.अष्टमूर्ति – आठ रूप वाले
84.अनेकात्मा – अनेक आत्मा वाले
85.सात्त्विक- सत्व गुण वाले
86.शुद्धविग्रह – दिव्यमूर्ति वाले
87.शाश्वत – नित्य रहने वाले
88.खण्डपरशु – टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
89.अज – जन्म रहित
90.पाशविमोचन – बंधन से छुड़ाने वाले
91.मृड – सुखस्वरूप वाले
92.पशुपति – पशुओं के स्वामी
93.देव – स्वयं प्रकाश रूप
94.महादेव – देवों के देव
95.अव्यय – खर्च होने पर भी न घटने वाले
96.हरि – विष्णु समरूपी
97.पूषदन्तभित् – पूषा के दांत उखाड़ने वाले
98.अव्यग्र – व्यथित न होने वाले
99.दक्षाध्वरहर – दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले
100.हर – पापों को हरने वाले
101.भगनेत्रभिद् - भग देवता की आंख फोड़ने वाले
102.अव्यक्त - इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
103.सहस्राक्ष - अनंत आँख वाले
104.सहस्रपाद - अनंत पैर वाले
105.अपवर्गप्रद - मोक्ष देने वाले
106.अनंत - देशकाल वस्तु रूपी परिच्छेद से रहित
107.तारक - तारने वाले
108.परमेश्वर - प्रथम ईश्वर
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1.शिव – कल्याण स्वरूप
2.महेश्वर – माया के अधीश्वर
3.शम्भू – आनंद स्वरूप वाले
4.पिनाकी – पिनाक धनुष धारण करने वाले
5.शशिशेखर – चंद्रमा धारण करने वाले
6.वामदेव – अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
7.विरूपाक्ष – विचित्र अथवा तीन आंख वाले
8.कपर्दी – जटा धारण करने वाले
9.नीललोहित – नीले और लाल रंग वाले
10.शंकर – सबका कल्याण करने वाले
11.शूलपाणी – हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
12.खटवांगी- खटिया का एक पाया रखने वाले
13.विष्णुवल्लभ – भगवान विष्णु के अति प्रिय
14.शिपिविष्ट – सितुहा में प्रवेश करने वाले
15.अंबिकानाथ- देवी भगवती के पति
16.श्रीकण्ठ – सुंदर कण्ठ वाले
17.भक्तवत्सल – भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
18.भव – संसार के रूप में प्रकट होने वाले
19.शर्व – कष्टों को नष्ट करने वाले
20.त्रिलोकेश- तीनों लोकों के स्वामी
21.शितिकण्ठ – सफेद कण्ठ वाले
22.शिवाप्रिय – पार्वती के प्रिय
23.उग्र – अत्यंत उग्र रूप वाले
24.कपाली – कपाल धारण करने वाले
25.कामारी – कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले
26.सुरसूदन – अंधक दैत्य को मारने वाले
27.गंगाधर – गंगा को जटाओं में धारण करने वाले
28.ललाटाक्ष – माथे पर आंख धारण किए हुए
29.महाकाल – कालों के भी काल
30.कृपानिधि – करुणा की खान
31.भीम – भयंकर या रुद्र रूप वाले
32.परशुहस्त – हाथ में फरसा धारण करने वाले
33.मृगपाणी – हाथ में हिरण धारण करने वाले
34.जटाधर – जटा रखने वाले
35.कैलाशवासी – कैलाश पर निवास करने वाले
36.कवची – कवच धारण करने वाले
37.कठोर – अत्यंत मजबूत देह वाले
38.त्रिपुरांतक – त्रिपुरासुर का विनाश करने वाले
39.वृषांक – बैल-चिह्न की ध्वजा वाले
40.वृषभारूढ़ – बैल पर सवार होने वाले
41.भस्मोद्धूलितविग्रह – भस्म लगाने वाले
42.सामप्रिय – सामगान से प्रेम करने वाले
43.स्वरमयी – सातों स्वरों में निवास करने वाले
44.त्रयीमूर्ति – वेद रूपी विग्रह करने वाले
45.अनीश्वर – जो स्वयं ही सबके स्वामी है
46.सर्वज्ञ – सब कुछ जानने वाले
47.परमात्मा – सब आत्माओं में सर्वोच्च
48.सोमसूर्याग्निलोचन – चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले
49.हवि – आहुति रूपी द्रव्य वाले
50.यज्ञमय – यज्ञ स्वरूप वाले
51.सोम – उमा के सहित रूप वाले
52.पंचवक्त्र – पांच मुख वाले
53.सदाशिव – नित्य कल्याण रूप वाले
54.विश्वेश्वर- विश्व के ईश्वर
55.वीरभद्र – वीर तथा शांत स्वरूप वाले
56.गणनाथ – गणों के स्वामी
57.प्रजापति – प्रजा का पालन- पोषण करने वाले
58.हिरण्यरेता – स्वर्ण तेज वाले
59.दुर्धुर्ष – किसी से न हारने वाले
60.गिरीश – पर्वतों के स्वामी
61.गिरिश्वर – कैलाश पर्वत पर रहने वाले
62.अनघ – पापरहित या पुण्य आत्मा
63.भुजंगभूषण – सांपों व नागों के आभूषण धारण करने वाले
64.भर्ग – पापों का नाश करने वाले
65.गिरिधन्वा – मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
66.गिरिप्रिय – पर्वत को प्रेम करने वाले
67.कृत्तिवासा – गजचर्म पहनने वाले
68.पुराराति – पुरों का नाश करने वाले
69.भगवान् – सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न
70.प्रमथाधिप – प्रथम गणों के अधिपति
71.मृत्युंजय – मृत्यु को जीतने वाले
72.सूक्ष्मतनु – सूक्ष्म शरीर वाले
73.जगद्व्यापी- जगत में व्याप्त होकर रहने वाले
74.जगद्गुरू – जगत के गुरु
75.व्योमकेश – आकाश रूपी बाल वाले
76.महासेनजनक – कार्तिकेय के पिता
77.चारुविक्रम – सुन्दर पराक्रम वाले
78.रूद्र – उग्र रूप वाले
79.भूतपति – भूतप्रेत व पंचभूतों के स्वामी
80.स्थाणु – स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
81.अहिर्बुध्न्य – कुण्डलिनी- धारण करने वाले
82.दिगम्बर – नग्न, आकाश रूपी वस्त्र वाले
83.अष्टमूर्ति – आठ रूप वाले
84.अनेकात्मा – अनेक आत्मा वाले
85.सात्त्विक- सत्व गुण वाले
86.शुद्धविग्रह – दिव्यमूर्ति वाले
87.शाश्वत – नित्य रहने वाले
88.खण्डपरशु – टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
89.अज – जन्म रहित
90.पाशविमोचन – बंधन से छुड़ाने वाले
91.मृड – सुखस्वरूप वाले
92.पशुपति – पशुओं के स्वामी
93.देव – स्वयं प्रकाश रूप
94.महादेव – देवों के देव
95.अव्यय – खर्च होने पर भी न घटने वाले
96.हरि – विष्णु समरूपी
97.पूषदन्तभित् – पूषा के दांत उखाड़ने वाले
98.अव्यग्र – व्यथित न होने वाले
99.दक्षाध्वरहर – दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले
100.हर – पापों को हरने वाले
101.भगनेत्रभिद् - भग देवता की आंख फोड़ने वाले
102.अव्यक्त - इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
103.सहस्राक्ष - अनंत आँख वाले
104.सहस्रपाद - अनंत पैर वाले
105.अपवर्गप्रद - मोक्ष देने वाले
106.अनंत - देशकाल वस्तु रूपी परिच्छेद से रहित
107.तारक - तारने वाले
108.परमेश्वर - प्रथम ईश्वर
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Thursday, 30 July 2015
Sawan Somvar Vart Dates 2015
Sawan Somvar Vart Dates 2015 - Shravan Mass (month) Vart, 2015 Sawan Somwar Vrat date
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Sawan Somwar Vrat Dates for Rajasthan, Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Punjab, Himachal Pradesh and Bihar
| |||
01 | August | (Saturday) | First day of Shravana Month |
03 | August | (Monday) | Sawan Somwar Vrat |
10 | August | (Monday) | Sawan Somwar Vrat |
17 | August | (Monday) | Sawan Somwar Vrat |
24 | August | (Monday) | Sawan Somwar Vrat |
29 | August | (Saturday) | Last day of Shravana Month |
Sawan Somwar Vrat Dates for Andhra Pradesh, Goa, Maharashtra, Gujarat, Karnataka and Tamil Nadu
| |||
15 | August | (Saturday) | First day of Shravana Month |
17 | August | (Monday) | Sawan Somwar Vrat |
24 | August | (Monday) | Sawan Somwar Vrat |
31 | August | (Monday) | Sawan Somwar Vrat |
07 | September | (Monday) | Sawan Somwar Vrat |
13 | September | (Sunday) | Last day of Shravana Month |
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Wednesday, 29 July 2015
Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti in Hindi
Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti in Hindi
जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा ।
छि छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहत गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥
Read
Thursday Vrat Katha in Hindi
जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा ।
छि छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहत गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥
Read
Thursday Vrat Katha in Hindi
Thursday Vrat Katha in Hindi
Brahaspativar Vrata Katha
बृहस्पतिवार व्रत कथा: प्राचीन समय की बात है। एक नगर में एक बड़ा व्यापारी रहता था। वह जहाजों में माल लदवाकर दूसरे देशों में भेजा करता था। वह जिस प्रकार अधिक धन कमाता था उसी प्रकार जी खोलकर दान भी करता था, परंतु उसकी पत्नी अत्यंत कंजूस थी। वह किसी को एक दमड़ी भी नहीं देने देती थी। एक बार सेठ जब दूसरे देश व्यापार करने गया तो पीछे से बृहस्पतिदेव ने साधु-वेश में उसकी पत्नी से भिक्षा मांगी। व्यापारी की पत्नी बृहस्पतिदेव से बोली हे साधु महाराज, मैं इस दान और पुण्य से तंग आ गई हूं। आप कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरा सारा धन नष्ट हो जाए और मैं आराम से रह सकूं। मैं यह धन लुटता हुआ नहीं देख सकती। बृहस्पतिदेव ने कहा, हे देवी, तुम बड़ी विचित्र हो, संतान और धन से कोई दुखी होता है। अगर अधिक धन है तो इसे शुभ कार्यों में लगाओ, कुंवारी कन्याओं का विवाह कराओ, विद्यालय और बाग-बगीचों का निर्माण कराओ। ऐसे पुण्य कार्य करने से तुम्हारा लोक-परलोक सार्थक हो सकता है, परन्तु साधु की इन बातों से व्यापारी की पत्नी को ख़ुशी नहीं हुई।
उसने कहा- मुझे ऐसे धन की आवश्यकता नहीं है, जिसे मैं दान दूं। तब बृहस्पतिदेव बोले "यदि तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो तुम एक उपाय करना। सात बृहस्पतिवार घर को गोबर से लीपना, अपने केशों को पीली मिटटी से धोना, केशों को धोते समय स्नान करना, व्यापारी से हजामत बनाने को कहना, भोजन में मांस-मदिरा खाना, कपड़े अपने घर धोना। ऐसा करने से तुम्हारा सारा धन नष्ट हो जाएगा। इतना कहकर बृहस्पतिदेव अंतर्ध्यान हो गए। व्यापारी की पत्नी ने बृहस्पति देव के कहे अनुसार सात बृहस्पतिवार वैसा ही करने का निश्चय किया। केवल तीन बृहस्पतिवार बीते थे कि उसी समस्त धन-संपत्ति नष्ट हो गई और वह परलोक सिधार गई। जब व्यापारी वापस आया तो उसने देखा कि उसका सब कुछ नष्ट हो चुका है। उस व्यापारी ने अपनी पुत्री को सांत्वना दी और दूसरे नगर में जाकर बस गया। वहां वह जंगल से लकड़ी काटकर लाता और शहर में बेचता। इस तरह वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा।
एक दिन उसकी पुत्री ने दही खाने की इच्छा प्रकट की लेकिन व्यापारी के पास दही खरीदने के पैसे नहीं थे। वह अपनी पुत्री को आश्वासन देकर जंगल में लकड़ी काटने चला गया। वहां एक वृक्ष के नीचे बैठ अपनी पूर्व दशा पर विचार कर रोने लगा। उस दिन बृहस्पतिवार था। तभी वहां बृहस्पतिदेव साधु के रूप में सेठ के पास आए और बोले "हे मनुष्य, तू इस जंगल में किस चिंता में बैठा है?" तब व्यापारी बोला "हे महाराज, आप सब कुछ जानते हैं।" इतना कहकर व्यापारी अपनी कहानी सुनाकर रो पड़ा। बृहस्पतिदेव बोले "देखो बेटा, तुम्हारी पत्नी ने बृहस्पति देव का अपमान किया था इसी कारण तुम्हारा यह हाल हुआ है लेकिन अब तुम किसी प्रकार की चिंता मत करो। तुम गुरुवार के दिन बृहस्पतिदेव का पाठ करो। दो पैसे के चने और गुड़ को लेकर जल के लोटे में शक्कर डालकर वह अमृत और प्रसाद अपने परिवार के सदस्यों और कथा सुनने वालों में बांट दो। स्वयं भी प्रसाद और चरणामृत लो। भगवान तुम्हारा अवश्य कल्याण करेंगे।" साधु की बात सुनकर व्यापारी बोला "महाराज। मुझे तो इतना भी नहीं बचता कि मैं अपनी पुत्री को दही लाकर दे सकूं।" इस पर साधु जी बोले "तुम लकड़ियां शहर में बेचने जाना,
तुम्हें लकड़ियों के दाम पहले से चौगुने मिलेंगे, जिससे तुम्हारे सारे कार्य सिद्ध हो जाएंगे।" लकड़हारे ने लकड़ियां काटीं और शहर में बेचने के लिए चल पड़ा। उसकी लकड़ियां अच्छे दाम में बिक गई जिससे उसने अपनी पुत्री के लिए दही लिया और गुरुवार की कथा हेतु चना, गुड़ लेकर कथा की और प्रसाद बांटकर स्वयं भी खाया। उसी दिन से उसकी सभी कठिनाइयां दूर होने लगीं, परंतु अगले बृहस्पतिवार को वह कथा करना भूल गया। अगले दिन वहां के राजा ने एक बड़े यज्ञ का आयोजन कर पूरे नगर के लोगों के लिए भोज का आयोजन किया। राजा की आज्ञा अनुसार पूरा नगर राजा के महल में भोज करने गया। लेकिन व्यापारी व उसकी पुत्री तनिक विलंब से पहुंचे, अत: उन दोनों को राजा ने महल में ले जाकर भोजन कराया। जब वे दोनों लौटकर आए तब रानी ने देखा कि उसका खूंटी पर टंगा हार गायब है। रानी को व्यापारी और उसकी पुत्री पर संदेह हुआ कि उसका हार उन दोनों ने ही चुराया है। राजा की आज्ञा से उन दोनों को कारावास की कोठरी में कैद कर दिया गया। कैद में पड़कर दोनों अत्यंत दुखी हुए। वहां उन्होंने बृहस्पति देवता का स्मरण किया। बृहस्पति देव ने प्रकट होकर व्यापारी को उसकी भूल का आभास कराया और उन्हें सलाह दी कि गुरुवार के दिन कैदखाने के दरवाजे पर तुम्हें दो पैसे मिलेंगे उनसे तुम चने और मुनक्का मंगवाकर विधिपूर्वक बृहस्पति देवता का पूजन करना। तुम्हारे सब दुख दूर हो जाएंगे। बृहस्पतिवार को कैदखाने के द्वार पर उन्हें दो पैसे मिले।
बाहर सड़क पर एक स्त्री जा रही थी। व्यापारी ने उसे बुलाकार गुड़ और चने लाने को कहा। इसपर वह स्त्री बोली "मैं अपनी बहू के लिए गहने लेने जा रही हूं, मेरे पास समय नहीं है।" इतना कहकर वह चली गई। थोड़ी देर बाद वहां से एक और स्त्री निकली, व्यापारी ने उसे बुलाकर कहा कि हे बहन मुझे बृहस्पतिवार की कथा करनी है। तुम मुझे दो पैसे का गुड़-चना ला दो। बृहस्पतिदेव का नाम सुनकर वह स्त्री बोली "भाई, मैं तुम्हें अभी गुड़-चना लाकर देती हूं। मेरा इकलौता पुत्र मर गया है, मैं उसके लिए कफन लेने जा रही थी लेकिन मैं पहले तुम्हारा काम करूंगी, उसके बाद अपने पुत्र के लिए कफन लाऊंगी।" वह स्त्री बाजार से व्यापारी के लिए गुड़-चना ले आई और स्वयं भी बृहस्पतिदेव की कथा सुनी। कथा के समाप्त होने पर वह स्त्री कफन लेकर अपने घर गई। घर पर लोग उसके पुत्र की लाश को "राम नाम सत्य है" कहते हुए श्मशान ले जाने की तैयारी कर रहे थे। स्त्री बोली "मुझे अपने लड़के का मुख देख लेने दो।" अपने पुत्र का मुख देखकर उस स्त्री ने उसके मुंह में प्रसाद और चरणामृत डाला। प्रसाद और चरणामृत के प्रभाव से वह पुन: जीवित हो गया। पहली स्त्री जिसने बृहस्पतिदेव का निरादर किया था, वह जब अपने पुत्र के विवाह हेतु पुत्रवधू के लिए गहने लेकर लौटी और जैसे ही उसका पुत्र घोड़ी पर बैठकर निकला वैसे ही घोड़ी ने ऐसी उछाल मारी कि वह घोड़ी से गिरकर मर गया।
यह देख स्त्री रो-रोकर बृहस्पति देव से क्षमा याचना करने लगी। उस स्त्री की याचना से बृहस्पतिदेव साधु वेश में वहां पहुंचकर कहने लगे "देवी। तुम्हें अधिक विलाप करने की आवश्यकता नहीं है। यह बृहस्पतिदेव का अनादार करने के कारण हुआ है। तुम वापस जाकर मेरे भक्त से क्षमा मांगकर कथा सुनो, तब ही तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी।" जेल में जाकर उस स्त्री ने व्यापारी से माफी मांगी और कथा सुनी। कथा के उपरांत वह प्रसाद और चरणामृत लेकर अपने घर वापस गई। घर आकर उसने चरणामृत अपने मृत पुत्र के मुख में डाला| चरणामृत के प्रभाव से उसका पुत्र भी जीवित हो उठा। उसी रात बृहस्पतिदेव राजा के सपने में आए और बोले "हे राजन। तूने जिस व्यापारी और उसके पुत्री को जेल में कैद कर रखा है वह बिलकुल निर्दोष हैं। तुम्हारी रानी का हार वहीं खूंटी पर टंगा है।" दिन निकला तो राजा रानी ने हार खूंटी पर लटका हुआ देखा। राजा ने उस व्यापारी और उसकी पुत्री को रिहा कर दिया और उन्हें आधा राज्य देकर उसकी पुत्री का विवाह उच्च कुल में करवाकर दहेज़ में हीरे-जवाहरात दिए।
Thursday Sai Baba Vrat Katha in Hindi
अन्य व्रत कथा पढ़ने के लिए क्लिक करें: Hindu Vrat Katha - See more
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Monday, 6 July 2015
Devkinandan Thakur ji Maharaj Ji Bhjan
Devkinandan Thakur ji Maharaj Ji Bhjan - Aisi Bansi Bajai Shyam ne
Listen More Bhajan of Devkinandan Thakur ji - Patta Patta Dali Dali Mera Sham Vasda
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Lord Shiv famous Story
There are a number of mythological tales and legends surrounding Lord Shiva. Here're a few popular ones:
Ganga Comes Down to Earth:
A legend from the Ramayana speaks of King Bhagirath who once meditated before Lord Brahma for a thousand years for the salvation of the souls of his ancestors. Pleased with his devotion Brahma granted him a wish. He requested the Lord to send the river Ganges down to earth from heaven so that she could flow over his ancestors' ashes and wash their curse away and allow them to go to heaven.
Read Here Chali Shiv sa In Sawan
Click Here For Shiv Ji Arti And Mantra
Listen Here Mahadev Shiv Ji Bhajan
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Brahma granted his wish but asked him to pray to Shiva, for he alone could support the weight of her descent. Accordingly he prayed to Shiva and he allowed the Ganges to descend on his head, and after meandering through his thick matted locks, the holy river reached the earth. This story is re-enacted by bathing the 'linga'.
Read More -http://hinduism.about.com/od/lordshiva/p/shivastories.htm
Saturday, 4 July 2015
Muni Pulak Sagar Ji Maharaj BioGraphy
JEEWAN PARICHAY
Name before Deeksha Paras Jain
Date Of Birth 11 May,1970
Place Of Birth Dhamtri, Chattisgarh
Father's Name Late Bhikamchand Jain
Mother's Name Smt. Gopi Bai Jain
Educational Qualification Bachelor Of Arts(Jabalpur)
Brahmcharya Vrat (Greh Tyag) 27 January,1993
Brahmcharya Acharya Shree Vidya Sagar Ji Maharaj
Ailak Deeksha 27 January,1994
Place of Deeksha Gwalior, Madhya Pradesh
Muni Deeksha 11 Dec.,1995
Place Of Deeksha Kanpur, Uttar Pradesh
Deeksha Guru Acharya Pushpadant Sagar Maharaj
Chaturmas Meerut, Bholanath Nagar, Saharanpur, Navin Shahdara, Agra, Gwalior, Jaipur, Indore, Nagpur, Mumbai
Name before Deeksha Paras Jain
Date Of Birth 11 May,1970
Place Of Birth Dhamtri, Chattisgarh
Father's Name Late Bhikamchand Jain
Mother's Name Smt. Gopi Bai Jain
Educational Qualification Bachelor Of Arts(Jabalpur)
Brahmcharya Vrat (Greh Tyag) 27 January,1993
Brahmcharya Acharya Shree Vidya Sagar Ji Maharaj
Ailak Deeksha 27 January,1994
Place of Deeksha Gwalior, Madhya Pradesh
Muni Deeksha 11 Dec.,1995
Place Of Deeksha Kanpur, Uttar Pradesh
Deeksha Guru Acharya Pushpadant Sagar Maharaj
Chaturmas Meerut, Bholanath Nagar, Saharanpur, Navin Shahdara, Agra, Gwalior, Jaipur, Indore, Nagpur, Mumbai
BK Shivani BioGraphy - Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya
BK Shivani is a Rajyoga Meditation Teacher who has been studying spiritual knowledge and practicing the ancient technique of Rajyoga Meditation, as taught by the Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya, Mount Abu, for the past 12 years. She conducts motivational courses through seminars and television programmes.
BK Shivani completed her Electronics Engineering graduate degree as a Gold Medalist from Pune University in 1994, and then served for two years as a lecturer in Bhartiya Vidyapeeth College of Engineering, Pune. Since 2007, she has been on-screen in India and abroad through the presentation of practical spiritual understanding on the TV programme "Awakening with Brahma Kumaris", which is being aired daily on Aastha channel in India, the United Kingdom and USA from a total of 160 countries in all 5 continents. The programme is also being aired daily on Zee TV in USA, Asia Pacific and the Middle East.
Her TV shows and interactive training programmes and workshops present a logical yet natural and comfortable way of adopting spirituality in life; all are offered as community service.
BK Shivani has traveled all over the Asia Pacific, UK, Africa and UAE conducting workshops and Live Television and Radio programmes.
She speaks on a wide spectrum of themes such as: Stress Free Lifestyle, Leadership Skills, Emotional Intelligence, Art of Right Thinking, Living Values, Exploring Inner Powers, Self Management, Harmony in Relationships and the Practical Technique of Rajyoga Meditation.
BK Shivani conducts programmes in corporate houses, some of the many organizations that have benefited over the past 6 years are:
Maruti Suzuki India
The Escorts Group
GE Energy
Ericsson
Jet Airways & Singapore Airlines
Sony Entertainment Television
Airtel Mobile Services
Ranbaxy Laboratories Ltd.
L&T Ltd.
Indian Oil Corporation
Airport Authority of India
Asian Paints
Indian Armed Forces
Read More about BK Shivani Rajyog Meditation - http://bkshivani.blogspot.com/
BK Shivani completed her Electronics Engineering graduate degree as a Gold Medalist from Pune University in 1994, and then served for two years as a lecturer in Bhartiya Vidyapeeth College of Engineering, Pune. Since 2007, she has been on-screen in India and abroad through the presentation of practical spiritual understanding on the TV programme "Awakening with Brahma Kumaris", which is being aired daily on Aastha channel in India, the United Kingdom and USA from a total of 160 countries in all 5 continents. The programme is also being aired daily on Zee TV in USA, Asia Pacific and the Middle East.
Her TV shows and interactive training programmes and workshops present a logical yet natural and comfortable way of adopting spirituality in life; all are offered as community service.
BK Shivani has traveled all over the Asia Pacific, UK, Africa and UAE conducting workshops and Live Television and Radio programmes.
She speaks on a wide spectrum of themes such as: Stress Free Lifestyle, Leadership Skills, Emotional Intelligence, Art of Right Thinking, Living Values, Exploring Inner Powers, Self Management, Harmony in Relationships and the Practical Technique of Rajyoga Meditation.
BK Shivani conducts programmes in corporate houses, some of the many organizations that have benefited over the past 6 years are:
Maruti Suzuki India
The Escorts Group
GE Energy
Ericsson
Jet Airways & Singapore Airlines
Sony Entertainment Television
Airtel Mobile Services
Ranbaxy Laboratories Ltd.
L&T Ltd.
Indian Oil Corporation
Airport Authority of India
Asian Paints
Indian Armed Forces
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Friday, 3 July 2015
Priyakant Ju Temple - Devkinandan Thakur Ji Maharaj ji
Priyakant Ju Temple - Devkinandan Thakur Ji Maharaj ji
For Registration Go to this website - http://vssct.com/
Registrations are Open. Click Temple Inauguration Registration Link Above to Register Yourself.
Vishwa Shanti Sewa Charitable Trust
C-5/90,Sector-6,1st Floor,
Near Rithala More,
Rohini, Delhi-110085.
Mob- 9212210143
Ph.O11-47564008
For Registration Go to this website - http://vssct.com/
Inauguration ceremony of priyakant ju temple & shanti sewa dham
on
8th feb 2016
Membership Type
Name Engraved Stones
Life Time Member with No Benefits
Vishwa Shanti Sewa Charitable Trust
C-5/90,Sector-6,1st Floor,
Near Rithala More,
Rohini, Delhi-110085.
Mob- 9212210143
Ph.O11-47564008
E-Mail: info@vssct.com
Priyakant Ju Mandir - Shanti Sewa Dham
Chhatikkara Vrindavan Road,
Near Vaishno Devi Mandir
Shri dham Vrindavan
U.P 281121
Ph.7351112221,7351113331,7351114441
Near Vaishno Devi Mandir
Shri dham Vrindavan
U.P 281121
Ph.7351112221,7351113331,7351114441
Morari Bapu Biography
Morari Bapu is a renowned exponent of the Ram Charit Manas and has been reciting Ram Kathas for over fifty years throughout the world. The overall ethos of his Katha is universal peace and spreading the message of truth, love and compassion. While the focal point is the scripture itself, Bapu draws upon examples from other religions and invites people from all faiths to attend the discourses.
Bapu was born on the day of Shivratri in 1947 in the village of Talgajarda, close to Mahuva in Bhavnagar district of Gujarat and he still lives there with his family. He belongs to the Vaishnav Bava Sadhu Nimbarka lineage and spent much of his childhood under the care of his grandfather and guru, Tribhovandas Dada, and grandmother, Amrit Ma. While his grandmother would lovingly relay folktales to him for hours, his grandfather shared with him his knowledge of the Ram Charit Manas. By the age of twelve, Bapu had memorised the entire Ram Charit Manas and had begun reciting and singing the Ram Katha at fourteen.
READ MORE ABOUT Morari Bapu Biography
Bapu was born on the day of Shivratri in 1947 in the village of Talgajarda, close to Mahuva in Bhavnagar district of Gujarat and he still lives there with his family. He belongs to the Vaishnav Bava Sadhu Nimbarka lineage and spent much of his childhood under the care of his grandfather and guru, Tribhovandas Dada, and grandmother, Amrit Ma. While his grandmother would lovingly relay folktales to him for hours, his grandfather shared with him his knowledge of the Ram Charit Manas. By the age of twelve, Bapu had memorised the entire Ram Charit Manas and had begun reciting and singing the Ram Katha at fourteen.
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Tuesday, 30 June 2015
Sri Sri Ravi Shankar Tour Information
From
To
Location
Event
Sun, 06/28/2015
Tue, 06/30/2015
Lima, Peru
Talk at Congress of Peru and Public Event
Wed, 07/01/2015
Sat, 07/04/2015
Dallas, Texas, United States
Art of Silence and Happiness Program
Sun, 07/05/2015
Mon, 07/06/2015
Interlaken, Switzerland
Keynote Address
Tue, 07/07/2015
Mon, 07/20/2015
Art of Living European International Center,
, Bad Antogast, Baden-Württemberg, Germany
, Bad Antogast, Baden-Württemberg, Germany
Discourse, Music and Meditation
Sun, 07/12/2015
Sun, 07/12/2015
Heidelberg, Germany
Meditation with the Master
For more details, click here
Fri, 07/24/2015
Fri, 07/31/2015
Art of Living Center,Montreal, Quebec, Canada
Sat, 08/01/2015
Mon, 08/03/2015
Art of Living Retreat Center, Boone, North Carolina, United States
August 1st
Guru Poornima Celebrations
Guru Poornima Celebrations
Art of Silence, Happiness Program, Art of Meditation, Art Excel, and Yes course
Thu, 08/06/2015
Sun, 08/09/2015
Saint-Petersburg, Russia
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