Tuesday, 11 February 2014

Budhvar Vart Kath - Wednesday Fast Kath

Budhvar Vart Kath - Wednesday Fast Kath

एक समय  किसी नगर एक साहुकार था| वह बहुत धनवान था। साहुकार  का विवाह  नगर की सुंदर और गुणवंती लड़की  से हुआ था। एक बार वो अपनी पत्नी को लेने बुधवार के दिन  ससुराल  गया।  पत्नी के माता-पिता से विदा कराने के लिए कहा। माता-पिता बोले- 'बेटा, आज बुधवार है। बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते।' लेकिन वो नहीं माना। उसने वहम की  बातों को न मानने की बात कही।

दोनों ने बैलगाड़ी से यात्रा प्रारंभ की। दो कोस की यात्रा के बाद उसकी गाड़ी का एक पहिया टूट गया। वहाँ से दोनों ने पैदल ही यात्रा शुरू की। रास्ते में पत्नी  को प्यास लगी।  साहुकार उसे एक पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने चला गया।

थोड़ी देर बाद जब  वो कहीं से जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था। पत्नी भी  साहुकार को देखकर हैरान रह गई। वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई।साहुकार ने उस व्यक्ति से पूछा- 'तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो ?'  साहुकार की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- 'अरे भाई, यह मेरी पत्नी है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूँ। लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो?'

साहुकार ने लगभग चीखते हुए कहा- 'तुम जरूर कोई चोर या ठग हो। यह मेरी पत्नी है। मैं इसे पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने गया था।' इस पर उस व्यक्ति ने कहा- 'अरे भाई! झूठ तो तुम बोल रहे हो।

पत्नी को प्यास लगने पर जल लेने तो मैं गया था। मैंने तो जल लाकर अपनी पत्नी को पिला भी दिया है। अब तुम चुपचाप यहाँ से चलते बनो। नहीं तो किसी सिपाही को बुलाकर तुम्हें पकड़वा दूँगा।'

दोनों एक-दूसरे से लड़ने लगे। उन्हें लड़ते देख बहुत से लोग वहाँ एकत्र हो गए। नगर के कुछ सिपाही भी वहाँ आ गए। सिपाही उन दोनों को पकड़कर राजा के पास ले गए। सारी कहानी सुनकर राजा भी कोई निर्णय नहीं कर पाया। पत्नी  भी उन दोनों में से अपने वास्तविक पति को नहीं पहचान पा रही थी।

राजा ने दोनों को कारागार में डाल देने के लिए कहा। राजा के फैसले पर असली साहुकार भयभीत हो उठा। तभी आकाशवाणी हुई- साहुकार तूने  माता-पिता की बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपनी ससुराल से प्रस्थान किया। यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है।'

साहुकार ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की कि 'हे भगवान बुधदेव मुझे क्षमा कर दीजिए। मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई। भविष्य में अब कभी बुधवार के दिन यात्रा नहीं करूँगा और सदैव बुधवार को आपका व्रत किया करूँगा।'

साहुकार के प्रार्थना करने से भगवान बुधदेव ने उसे क्षमा कर दिया। तभी दूसरा व्यक्ति राजा के सामने से गायब हो गया। राजा और दूसरे लोग इस चमत्कार को देख हैरान हो गए। भगवान बुधदेव की इस अनुकम्पा से राजा ने साहुकार और उसकी पत्नी को सम्मानपूर्वक विदा किया।

कुछ दूर चलने पर रास्ते में उन्हें बैलगाड़ी मिल गई। बैलगाड़ी का टूटा हुआ पहिया भी जुड़ा हुआ था। दोनों उसमें बैठकर नगर की ओर चल दिए। साहुकार और उसकी पत्नी दोनों बुधवार को व्रत करते हुए आनंदपूर्वक जीवन-यापन करने लगे।

भगवान बुधदेव की अनुकम्पा से उनके घर में धन-संपत्ति की वर्षा होने लगी। जल्दी ही उनके जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ भर गईं। बुधवार का व्रत करने से स्त्री-पुरुषों के जीवन में सभी मंगलकामनाएँ पूरी होती हैं। 

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