Thursday, 30 July 2015

Sawan Shivaratri Vart Date 2015

12 August 2015

Sawan Somvar Vart Dates 2015

Sawan Somvar Vart Dates 2015 - Shravan Mass (month) Vart, 2015 Sawan Somwar Vrat date

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Sawan Somwar Vrat Dates for Rajasthan, Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Punjab, Himachal Pradesh and Bihar
01 August (Saturday) First day of Shravana Month
03 August (Monday) Sawan Somwar Vrat
10 August (Monday) Sawan Somwar Vrat
17 August (Monday) Sawan Somwar Vrat
24 August (Monday) Sawan Somwar Vrat
29 August (Saturday) Last day of Shravana Month
Sawan Somwar Vrat Dates for Andhra Pradesh, Goa, Maharashtra, Gujarat, Karnataka and Tamil Nadu
15 August (Saturday) First day of Shravana Month
17 August (Monday) Sawan Somwar Vrat
24 August (Monday) Sawan Somwar Vrat
31 August (Monday) Sawan Somwar Vrat
07 September (Monday) Sawan Somwar Vrat
13 September (Sunday) Last day of Shravana Month

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Wednesday, 29 July 2015

Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti in Hindi

Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti in Hindi 



जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा ।
छि छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहत गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥
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Thursday Vrat Katha in Hindi

Thursday Vrat Katha in Hindi

Brahaspativar Vrata Katha

Brahaspativar Vrata Katha


बृहस्पतिवार व्रत कथा: प्राचीन समय की बात है। एक नगर में एक बड़ा व्यापारी रहता था। वह जहाजों में माल लदवाकर दूसरे देशों में भेजा करता था। वह जिस प्रकार अधिक धन कमाता था उसी प्रकार जी खोलकर दान भी करता था, परंतु उसकी पत्नी अत्यंत कंजूस थी। वह किसी को एक दमड़ी भी नहीं देने देती थी। एक बार सेठ जब दूसरे देश व्यापार करने गया तो पीछे से बृहस्पतिदेव ने साधु-वेश में उसकी पत्नी से भिक्षा मांगी। व्यापारी की पत्नी बृहस्पतिदेव से बोली हे साधु महाराज, मैं इस दान और पुण्य से तंग आ गई हूं। आप कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरा सारा धन नष्ट हो जाए और मैं आराम से रह सकूं। मैं यह धन लुटता हुआ नहीं देख सकती। बृहस्पतिदेव ने कहा, हे देवी, तुम बड़ी विचित्र हो, संतान और धन से कोई दुखी होता है। अगर अधिक धन है तो इसे शुभ कार्यों में लगाओ, कुंवारी कन्याओं का विवाह कराओ, विद्यालय और बाग-बगीचों का निर्माण कराओ। ऐसे पुण्य कार्य करने से तुम्हारा लोक-परलोक सार्थक हो सकता है, परन्तु साधु की इन बातों से व्यापारी की पत्नी को ख़ुशी नहीं हुई।
उसने कहा- मुझे ऐसे धन की आवश्यकता नहीं है, जिसे मैं दान दूं। तब बृहस्पतिदेव बोले "यदि तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो तुम एक उपाय करना। सात बृहस्पतिवार घर को गोबर से लीपना, अपने केशों को पीली मिटटी से धोना, केशों को धोते समय स्नान करना, व्यापारी से हजामत बनाने को कहना, भोजन में मांस-मदिरा खाना, कपड़े अपने घर धोना। ऐसा करने से तुम्हारा सारा धन नष्ट हो जाएगा। इतना कहकर बृहस्पतिदेव अंतर्ध्यान हो गए। व्यापारी की पत्नी ने बृहस्पति देव के कहे अनुसार सात बृहस्पतिवार वैसा ही करने का निश्चय किया। केवल तीन बृहस्पतिवार बीते थे कि उसी समस्त धन-संपत्ति नष्ट हो गई और वह परलोक सिधार गई। जब व्यापारी वापस आया तो उसने देखा कि उसका सब कुछ नष्ट हो चुका है। उस व्यापारी ने अपनी पुत्री को सांत्वना दी और दूसरे नगर में जाकर बस गया। वहां वह जंगल से लकड़ी काटकर लाता और शहर में बेचता। इस तरह वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा।
एक दिन उसकी पुत्री ने दही खाने की इच्छा प्रकट की लेकिन व्यापारी के पास दही खरीदने के पैसे नहीं थे। वह अपनी पुत्री को आश्वासन देकर जंगल में लकड़ी काटने चला गया। वहां एक वृक्ष के नीचे बैठ अपनी पूर्व दशा पर विचार कर रोने लगा। उस दिन बृहस्पतिवार था। तभी वहां बृहस्पतिदेव साधु के रूप में सेठ के पास आए और बोले "हे मनुष्य, तू इस जंगल में किस चिंता में बैठा है?" तब व्यापारी बोला "हे महाराज, आप सब कुछ जानते हैं।" इतना कहकर व्यापारी अपनी कहानी सुनाकर रो पड़ा। बृहस्पतिदेव बोले "देखो बेटा, तुम्हारी पत्नी ने बृहस्पति देव का अपमान किया था इसी कारण तुम्हारा यह हाल हुआ है लेकिन अब तुम किसी प्रकार की चिंता मत करो। तुम गुरुवार के दिन बृहस्पतिदेव का पाठ करो। दो पैसे के चने और गुड़ को लेकर जल के लोटे में शक्कर डालकर वह अमृत और प्रसाद अपने परिवार के सदस्यों और कथा सुनने वालों में बांट दो। स्वयं भी प्रसाद और चरणामृत लो। भगवान तुम्हारा अवश्य कल्याण करेंगे।" साधु की बात सुनकर व्यापारी बोला "महाराज। मुझे तो इतना भी नहीं बचता कि मैं अपनी पुत्री को दही लाकर दे सकूं।" इस पर साधु जी बोले "तुम लकड़ियां शहर में बेचने जाना,
तुम्हें लकड़ियों के दाम पहले से चौगुने मिलेंगे, जिससे तुम्हारे सारे कार्य सिद्ध हो जाएंगे।" लकड़हारे ने लकड़ियां काटीं और शहर में बेचने के लिए चल पड़ा। उसकी लकड़ियां अच्छे दाम में बिक गई जिससे उसने अपनी पुत्री के लिए दही लिया और गुरुवार की कथा हेतु चना, गुड़ लेकर कथा की और प्रसाद बांटकर स्वयं भी खाया। उसी दिन से उसकी सभी कठिनाइयां दूर होने लगीं, परंतु अगले बृहस्पतिवार को वह कथा करना भूल गया। अगले दिन वहां के राजा ने एक बड़े यज्ञ का आयोजन कर पूरे नगर के लोगों के लिए भोज का आयोजन किया। राजा की आज्ञा अनुसार पूरा नगर राजा के महल में भोज करने गया। लेकिन व्यापारी व उसकी पुत्री तनिक विलंब से पहुंचे, अत: उन दोनों को राजा ने महल में ले जाकर भोजन कराया। जब वे दोनों लौटकर आए तब रानी ने देखा कि उसका खूंटी पर टंगा हार गायब है। रानी को व्यापारी और उसकी पुत्री पर संदेह हुआ कि उसका हार उन दोनों ने ही चुराया है। राजा की आज्ञा से उन दोनों को कारावास की कोठरी में कैद कर दिया गया। कैद में पड़कर दोनों अत्यंत दुखी हुए। वहां उन्होंने बृहस्पति देवता का स्मरण किया। बृहस्पति देव ने प्रकट होकर व्यापारी को उसकी भूल का आभास कराया और उन्हें सलाह दी कि गुरुवार के दिन कैदखाने के दरवाजे पर तुम्हें दो पैसे मिलेंगे उनसे तुम चने और मुनक्का मंगवाकर विधिपूर्वक बृहस्पति देवता का पूजन करना। तुम्हारे सब दुख दूर हो जाएंगे। बृहस्पतिवार को कैदखाने के द्वार पर उन्हें दो पैसे मिले।
बाहर सड़क पर एक स्त्री जा रही थी। व्यापारी ने उसे बुलाकार गुड़ और चने लाने को कहा। इसपर वह स्त्री बोली "मैं अपनी बहू के लिए गहने लेने जा रही हूं, मेरे पास समय नहीं है।" इतना कहकर वह चली गई। थोड़ी देर बाद वहां से एक और स्त्री निकली, व्यापारी ने उसे बुलाकर कहा कि हे बहन मुझे बृहस्पतिवार की कथा करनी है। तुम मुझे दो पैसे का गुड़-चना ला दो। बृहस्पतिदेव का नाम सुनकर वह स्त्री बोली "भाई, मैं तुम्हें अभी गुड़-चना लाकर देती हूं। मेरा इकलौता पुत्र मर गया है, मैं उसके लिए कफन लेने जा रही थी लेकिन मैं पहले तुम्हारा काम करूंगी, उसके बाद अपने पुत्र के लिए कफन लाऊंगी।" वह स्त्री बाजार से व्यापारी के लिए गुड़-चना ले आई और स्वयं भी बृहस्पतिदेव की कथा सुनी। कथा के समाप्त होने पर वह स्त्री कफन लेकर अपने घर गई। घर पर लोग उसके पुत्र की लाश को "राम नाम सत्य है" कहते हुए श्मशान ले जाने की तैयारी कर रहे थे। स्त्री बोली "मुझे अपने लड़के का मुख देख लेने दो।" अपने पुत्र का मुख देखकर उस स्त्री ने उसके मुंह में प्रसाद और चरणामृत डाला। प्रसाद और चरणामृत के प्रभाव से वह पुन: जीवित हो गया। पहली स्त्री जिसने बृहस्पतिदेव का निरादर किया था, वह जब अपने पुत्र के विवाह हेतु पुत्रवधू के लिए गहने लेकर लौटी और जैसे ही उसका पुत्र घोड़ी पर बैठकर निकला वैसे ही घोड़ी ने ऐसी उछाल मारी कि वह घोड़ी से गिरकर मर गया।

यह देख स्त्री रो-रोकर बृहस्पति देव से क्षमा याचना करने लगी। उस स्त्री की याचना से बृहस्पतिदेव साधु वेश में वहां पहुंचकर कहने लगे "देवी। तुम्हें अधिक विलाप करने की आवश्यकता नहीं है। यह बृहस्पतिदेव का अनादार करने के कारण हुआ है। तुम वापस जाकर मेरे भक्त से क्षमा मांगकर कथा सुनो, तब ही तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी।" जेल में जाकर उस स्त्री ने व्यापारी से माफी मांगी और कथा सुनी। कथा के उपरांत वह प्रसाद और चरणामृत लेकर अपने घर वापस गई। घर आकर उसने चरणामृत अपने मृत पुत्र के मुख में डाला| चरणामृत के प्रभाव से उसका पुत्र भी जीवित हो उठा। उसी रात बृहस्पतिदेव राजा के सपने में आए और बोले "हे राजन। तूने जिस व्यापारी और उसके पुत्री को जेल में कैद कर रखा है वह बिलकुल निर्दोष हैं। तुम्हारी रानी का हार वहीं खूंटी पर टंगा है।" दिन निकला तो राजा रानी ने हार खूंटी पर लटका हुआ देखा। राजा ने उस व्यापारी और उसकी पुत्री को रिहा कर दिया और उन्हें आधा राज्य देकर उसकी पुत्री का विवाह उच्च कुल में करवाकर दहेज़ में हीरे-जवाहरात दिए।

Thursday Sai Baba Vrat Katha in Hindi

अन्य व्रत कथा पढ़ने के लिए क्लिक करें: Hindu Vrat Katha - See more

at: http://onlinefastkatha.blogspot.in/2012/04/vrat-katha-weekly-vrat-katha.html

Monday, 6 July 2015

Famous Shiv Bhajan - Ek Dina Bhole Bhandari

Famous Shiv Bhajan - Ek Dina Bhole Bhandari



Devkinandan Thakur ji Maharaj Ji Bhjan

Devkinandan Thakur ji Maharaj Ji Bhjan - Aisi Bansi Bajai Shyam ne



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Lord Shiv famous Story


god shiva

lord shiva wallpaper

God Shiva

shiv and ram


There are a number of mythological tales and legends surrounding Lord Shiva. Here're a few popular ones:
Ganga Comes Down to Earth:
A legend from the Ramayana speaks of King Bhagirath who once meditated before Lord Brahma for a thousand years for the salvation of the souls of his ancestors. Pleased with his devotion Brahma granted him a wish. He requested the Lord to send the river Ganges down to earth from heaven so that she could flow over his ancestors' ashes and wash their curse away and allow them to go to heaven.

Read Here Chali Shiv sa In Sawan
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Listen Here Mahadev Shiv Ji Bhajan

Brahma granted his wish but asked him to pray to Shiva, for he alone could support the weight of her descent. Accordingly he prayed to Shiva and he allowed the Ganges to descend on his head, and after meandering through his thick matted locks, the holy river reached the earth. This story is re-enacted by bathing the 'linga'.
Read More -http://hinduism.about.com/od/lordshiva/p/shivastories.htm

Saturday, 4 July 2015

Muni Pulak Sagar Ji Maharaj BioGraphy

JEEWAN PARICHAY
Name before Deeksha    Paras Jain
Date Of  Birth                    11 May,1970
Place Of  Birth            Dhamtri, Chattisgarh
Father's Name                    Late Bhikamchand Jain
Mother's Name            Smt. Gopi Bai Jain
Educational Qualification  Bachelor Of Arts(Jabalpur)
Brahmcharya Vrat (Greh Tyag) 27 January,1993
Brahmcharya                   Acharya Shree Vidya Sagar Ji Maharaj
Ailak Deeksha                   27 January,1994
Place of Deeksha           Gwalior, Madhya Pradesh
Muni Deeksha                    11 Dec.,1995
Place Of Deeksha            Kanpur, Uttar Pradesh
Deeksha Guru Acharya Pushpadant Sagar Maharaj
Chaturmas                   Meerut, Bholanath Nagar, Saharanpur, Navin Shahdara, Agra, Gwalior, Jaipur, Indore, Nagpur, Mumbai

BK Shivani BioGraphy - Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya

BK Shivani is a Rajyoga Meditation Teacher who has been studying spiritual knowledge and practicing the ancient technique of Rajyoga Meditation, as taught by the Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya, Mount Abu, for the past 12 years. She conducts motivational courses through seminars and television programmes.


BK Shivani completed her Electronics Engineering graduate degree as a Gold Medalist from Pune University in 1994, and then served for two years as a lecturer in Bhartiya Vidyapeeth College of Engineering, Pune. Since 2007, she has been on-screen in India and abroad through the presentation of practical spiritual understanding on the TV programme "Awakening with Brahma Kumaris", which is being aired daily on Aastha channel in India, the United Kingdom and USA from a total of 160 countries in all 5 continents. The programme is also being aired daily on Zee TV in USA, Asia Pacific and the Middle East.

Her TV shows and interactive training programmes and workshops present a logical yet natural and comfortable way of adopting spirituality in life; all are offered as community service.

BK Shivani has traveled all over the Asia Pacific, UK, Africa and UAE conducting workshops and Live Television and Radio programmes.

She speaks on a wide spectrum of themes such as: Stress Free Lifestyle, Leadership Skills, Emotional Intelligence, Art of Right Thinking, Living Values, Exploring Inner Powers, Self Management, Harmony in Relationships and the Practical Technique of Rajyoga Meditation.

BK Shivani conducts programmes in corporate houses, some of the many organizations that have benefited over the past 6 years are:

Maruti Suzuki India
The Escorts Group
GE Energy
Ericsson
Jet Airways & Singapore Airlines
Sony Entertainment Television
Airtel Mobile Services
Ranbaxy Laboratories Ltd.
L&T Ltd.
Indian Oil Corporation
Airport Authority of India
Asian Paints
Indian Armed Forces

Read More about BK Shivani Rajyog Meditation - http://bkshivani.blogspot.com/

Friday, 3 July 2015

Priyakant Ju Temple - Devkinandan Thakur Ji Maharaj ji

Priyakant Ju Temple - Devkinandan Thakur Ji Maharaj ji 

For Registration Go to this website - http://vssct.com/





Inauguration ceremony of priyakant ju temple & shanti sewa dham 
on 
8th feb 2016

Registrations are Open. Click Temple Inauguration Registration Link Above to Register Yourself.



Membership Type
Name Engraved Stones
Life Time Member with No Benefits



Vishwa Shanti Sewa Charitable Trust 
C-5/90,Sector-6,1st Floor,
Near Rithala More,
Rohini, Delhi-110085.
Mob- 9212210143
Ph.O11-47564008
E-Mail: info@vssct.com
Priyakant Ju Mandir - Shanti Sewa Dham
Chhatikkara Vrindavan Road,
Near Vaishno Devi Mandir
Shri dham Vrindavan
U.P 281121
Ph.7351112221,7351113331,7351114441

Morari Bapu Biography

Morari Bapu is a renowned exponent of the Ram Charit Manas and has been reciting Ram Kathas for over fifty years throughout the world. The overall ethos of his Katha is universal peace and spreading the message of truth, love and compassion. While the focal point is the scripture itself, Bapu draws upon examples from other religions and invites people from all faiths to attend the discourses.
Morari Bapu Biography

Bapu was born on the day of Shivratri in 1947 in the village of Talgajarda, close to Mahuva in Bhavnagar district of Gujarat and he still lives there with his family. He belongs to the Vaishnav Bava Sadhu Nimbarka lineage and spent much of his childhood under the care of his grandfather and guru, Tribhovandas Dada, and grandmother, Amrit Ma. While his grandmother would lovingly relay folktales to him for hours, his grandfather shared with him his knowledge of the Ram Charit Manas. By the age of twelve, Bapu had memorised the entire Ram Charit Manas and had begun reciting and singing the Ram Katha at fourteen.

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